Tuesday, May 26, 2020

तस्वीरें पलटना भी बहाना हो गया



तस्वीरें पलटना भी बहाना हो गया
आईने में चेहरा अब पुराना हो गया

टूटे ख़्वाबों को दफ़्न कर दिया जब से
ज़िंदगी का सफ़र भी सुहाना हो गया

कब तलक राह देखे कोई अच्छे दिनों की
छोड़ो कि अब मंज़र वो पुराना हो गया

भूखे पेटों के लिए सिर्फ़ गर्व की ही नेमतें
हाकिम का रोज़ का फ़साना हो गया

मैंने तो जो कहा बस सच ही कहा था
हरेक उठती उंगली का निशाना हो गया

9 comments:

  1. एकदम सच कहा अभिषेक..मौजूदा हालत देखकर दिल घबराता है..इतने कम शब्दों में आइना उतार कर रख दिया

    ReplyDelete
  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 27 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. सार्थक यथार्थ लेखन ।
    सटीक उम्दा।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर... सभी अशआर काबिलेतारीफ.👌👌👌👌 अभिषेक जी।
    हमारे ब्लॉग पर भी पधारें...

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर सृजन.
    सादर

    ReplyDelete
  6. यथार्थ को परलक्षित करती रचना

    ReplyDelete