Saturday, February 21, 2015

लकीरें




सीधी सही पर 
बड़ी पेचीदा होती हैं 
कभी कच्ची 
तो कभी 
गाढ़ी होती हैं 
लकीरें 

वो 
जो कच्ची होती हैं 
खिंचती हैं 
काली सी स्लेट पर 
और फिर जब 
स्लेट को छोड़ दो 
रख दो कहीं 
बस यूं ही ख़ुद-ब-ख़ुद 
धुंधला जाती हैं 
लकीरें 

कुछ लकीरें 
जब उकरतीं हैं 
रेत के अखाड़े  में 
और बनाती हैं पाला 
कबड्डी का 
हँसते हैं सभी 
खिलखिलाते हैं 
जब टूटती हैं साँसें 
और बद जाता है दाम 
फिर जब 
चलती है हवा अखाड़े में 
तो मिट जाते हैं 
पैरों, पंजों और एड़ियों के 
निशाँ 
और मिट जाती हैं 
लकीरें भी 

लेकिन एक बार हमने 
बनायी थी इक लकीर 
कबड्डी की नहीं 
सरहदों की लकीर 
उस रोज़ भी 
टूटी थीं साँसें 
लेकिन इस बार 
बहुत सा ख़ून भी 
उमड़ आया था उसमें 
जिसने 
कर दिया था गाढ़ा 
उन लकीरों को 

कुछ सरफ़िरों ने सोचा भी 
कि चलो लाते हैं 
कोई पोछा बड़ा सा 
और मिटा देते हैं 
इन लकीरों को 
पर 
लाल हो गया पोछा भी 
जब पड़ा वो 
उस लकीर पे 
तब 
और भी ताज़ी हो गयीं 
लकीरें 
और भी गाढ़ी हो गयीं 
लकीरें 

Friday, February 20, 2015

मेरे सामने वाली दिल्ली में




मेरे सामने वाली दिल्ली में 
मेरे देश का PM रहता है 
अफ़सोस ये है कि वो हरदम 
बस गुजरात गुजरात रटता है 

MRS Srisena भी चली गयी 
बराक भी आकर चला गया 
जब सूट की controversy बढ़ी  
सारा उद्योग जगत भी उमड़ गया 
अब आया जा के समझ मेरी 
जो दिखता है वो बिकता है 

तीस्ता के पीछे पुलिस पड़ी 
बिहार में मांझी की crisis बढ़ी 
चर्च जलते रहे पूरी दिल्ली में 
पर इनके मुंह से ना पट्टी हटी 
अब छप्पन इंच का सीना भी 
बस कोरा #Jumla लगता है 

Tuesday, February 17, 2015

जहांआरा




खुद की ही इमारत में 
वो क़ैद होकर रह गया
झाँकता अब किस तरफ
बस कसमसाकर रह गया

तराशा था उसने कभी
मुहब्बतों से इक निशां
आखिरी लम्हों में वो खुद
नफ़रतों से ढह गया

पिंजरे में है उसके लेकिन
खिड़की भी एक छोटी सी
खुद की क़बर से खुद की क़बर को
देखता वो रह गया

कभी देखता बेड़ियों को
कभी जहांआरा को
मेरी बेटी मेरी बेटी
कहता ही वो रह गया
ज़िल्लतें सब सह गया

Saturday, February 7, 2015

लो फिर आया केजरीवाला


दिल का हाल कहे दिलवाला 
सीधी सी बात न मिर्च मसाला 
कह के रहेगा कहने वाला 
दिल का हाल कहे दिलवाला 

दोनों हाथों से सब्सिडी दे दी 
ऐसी तैसी सारे बजट की 
खाली होने लगा सारा खज़ाना 
भागना पड़ गया कर के बहाना 
भाग के जब लेकिन वापस आया 
कांग्रेस ने अब की ठेंगा दिखाया 
डेमोक्रेसी का सर्कस है ये 
लो फिर आया केजरीवाला 
कह के रहेगा कहने वाला 
दिल का हाल कहे दिलवाला 

Friday, February 6, 2015

दिल का हाल कहे दिलवाला



दिल का हाल कहे दिलवाला
सीधी सी बात न मिर्च मसाला
कह के रहेगा कहने वाला
दिल का हाल कहे दिलवाला

तेरे को लेने मैं एयरपोर्ट आया
चाय भी अपने हाथों बनाया
लाखों रुपैये के सूट में आया
रेडियो पे मन की बात कराया
वापस जा के भूल गया तू
न्युक्लीअर डील को भूल गया तू
गांधी की मुझको दे दी दुहाई
बराक ये तूने क्या कर डाला
कह के रहेगा कहने वाला
दिल का हाल कहे दिलवाला

डेमोक्रेसी की वाट लग गयी
जनता की सब खाट लग गयी
आधा ले के गया अडानी
बाक़ी आधा गया अम्बानी
अब सुनो ये गड़बड़ झाला
बाँध के पट्टी मुंह पर ताला
वापस घूम के आएगा सब
थोड़ा सा चेक में बाक़ी हवाला
कह के रहेगा कहने वाला
दिल की हाल कहे दिलवाला