सितंबर में 'The Home and the World' के बाद दफ़्तर के काम में दिन कुछ यूं मसरूफ़ हुए कि पढ़ने का वक़्त निकालना मुश्किल होने लगा. फिर इधर फ़ैमिली को भी सिंगापुर शिफ्ट करने की जुगत थी जिसने लम्हों की खुरचन भी समेट डाली. दो महीने बाद दिसंबर में चार किताबों का लक्ष्य अंततः रखा:
1. बा-बॉय (कृष्ण बिहारी)
2. मधुशाला (हरिवंश राय 'बच्चन')
3. Death under the Deodars (रस्किन बॉन्ड)
4. कठघरे में लोकतंत्र (अरुंधति रॉय)
सभी किताबें अच्छी लगीं. अगले महीने यानी जनवरी के लिए पांच किताबें चुनी हैं:
1. वैदिक संस्कृति (गोविन्द चंद्र पांडेय )
2. This is not the end of the book (Umberto Eco)
3. An Era of Darkness: The British Empire in India (Shashi Tharoor)
4. रश्मिरथि (रामधारी सिंह 'दिनकर')
5. नारी तुम अनन्या हो (जयश्री गोस्वामी महंत)
1. बा-बॉय (कृष्ण बिहारी)
2. मधुशाला (हरिवंश राय 'बच्चन')
3. Death under the Deodars (रस्किन बॉन्ड)
4. कठघरे में लोकतंत्र (अरुंधति रॉय)
सभी किताबें अच्छी लगीं. अगले महीने यानी जनवरी के लिए पांच किताबें चुनी हैं:
1. वैदिक संस्कृति (गोविन्द चंद्र पांडेय )
2. This is not the end of the book (Umberto Eco)
3. An Era of Darkness: The British Empire in India (Shashi Tharoor)
4. रश्मिरथि (रामधारी सिंह 'दिनकर')
5. नारी तुम अनन्या हो (जयश्री गोस्वामी महंत)