इक हादसा-सा कुछ टल गया
आज का दिन भी यूं ढल गया
पता तो उसका आज भी वही है
शख़्स जो वां था, बदल गया
ख़ुशियां होतीं तो जा चुकी होतीं
वो तो ग़म था जो पल गया
होंठ मुस्कराते मुस्कराते गए
भीतर जो दिल था, जल गया
उनकी मसीहाई से बचते रहे लेकिन
एक दिन उनका ख़ंजर चल गया
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اک حادثہ سا کچھ ٹل گیا
آج کا دن بھی یوں ڈھل گیا
پتا تو اسکا آج بھی وہی ہے
شخص جو واں تھا، بدل گیا
خوشیاں ہوتیں تو جا چکی ہوتیں
وہ تو غم تھا جو پل گیا
ہونٹھ مسکراتے مسکراتے گئے
بھیتر جو دل تھا، جل گیا
مسیحائی سے انکی بچتے رہے لیکن
ایک دن انکا خنجر چل گیا
शानदार अभिव्यक्ति
ReplyDeleteउर्दू भाषा पर अच्छी पकड़ है
बेहद शानदार, लाज़वाब गज़ल सर।
ReplyDeleteसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १६ जनवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
ख़ुशियां होतीं तो जा चुकी होतीं
ReplyDeleteवो तो ग़म था जो पल गया
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बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
वाह
ReplyDeleteSushil ji dhanyawaad.
Deleteलाजवाब सृजन!
ReplyDeleteBehtareen Boss
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