Monday, December 16, 2024

पुराने मोड़ से रस्ते नए निकल जाते हैं



पुराने मोड़ से रस्ते नए निकल जाते हैं
नए तजुर्बों से पुराने हल निकल जाते हैं


सच कहूँ तिरी बात से अब कोई गिला नहीं
ये तो आँसू हैं, बस यूं ही निकल जाते हैं


तमाम दुनियादारी में अब डूबते-उबरते
वक़्त कट जाता है दिन निकल जाते हैं


तेरे हाथ भी जोड़ने से कुछ न हुआ होता
जाने वाले तो हर बात पे निकल जाते हैं


इतना भी गुमान ना कर अपनी ख़ुदाई का
तमाम ख़ुदा आख़िर में पत्थर निकल जाते हैं 

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