जो उट्ठेंगे तेरी महफिल से, कहाँ जाएंगे
जहां गुमशुदा हर शख़्स गया, वहाँ जाएंगे
जहां गुमशुदा हर शख़्स गया, वहाँ जाएंगे
काँटों और पत्थरों से कैसे रोक पाओगे
हम जब लेके अपनी हथेली पे जां जाएंगे
क्या छुपा सकेंगे कभी मेरे गुनाह मुझसे
ये आईने कब इतने मेहरबां जाएंगे
नफ़रतों के किस्सों से अब गिला क्या रक्खें
जब मोहब्बतों के किस्से यूं ख़ामख़ा जाएंगे
वो फिर पूछेगा हिफ़ाज़त-ए-ख़ुदा को जाओगे
ख़ुदा के वास्ते अबकी मत कहना हाँ जाएंगे
हम जब लेके अपनी हथेली पे जां जाएंगे
क्या छुपा सकेंगे कभी मेरे गुनाह मुझसे
ये आईने कब इतने मेहरबां जाएंगे
नफ़रतों के किस्सों से अब गिला क्या रक्खें
जब मोहब्बतों के किस्से यूं ख़ामख़ा जाएंगे
वो फिर पूछेगा हिफ़ाज़त-ए-ख़ुदा को जाओगे
ख़ुदा के वास्ते अबकी मत कहना हाँ जाएंगे
बढ़िया
ReplyDeleteआपकी हौंसला अफ़ज़ाई सुशील जी 🙏🙏
Deletewaah bahut khoob
ReplyDeleteमोहब्बतों के किस्से महफूज़ रखना दोस्त...बड़ी ज़रूरत है
ReplyDelete🙏
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