Friday, March 21, 2014

लोगों ने



नफ़रत की सियासत से 
बाट दिया है लोगों ने 
अपने धड़ को अपने हाथों 
काट दिया है लोगों ने 

वो हिन्दू वो मुस्लिम 
वो सिख वो ईसाई 
नफ़रत से हर मज़हब को  
पाट दिया है लोगों ने 

सौहार्द्र की एक नदी कभी थी 
आज रेत की शक़्ल में उड़ती है 
क़ब्र पे उसकी खुदी इबारत 
मेरा ख़ून किया है लोगों ने 

उजाड़ न दे कोई सहरा मेरा 
ज़हर पानी में घुलवा के  
बची-खुची कपोलों को भी 
सींच दिया है लोगों ने 

2 comments:

  1. सच्चाई बयाँ कर दी आपने अभिषेक भाई :-(

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