एक तस्वीर उभर कर आयी है
डायरी के सूखे ग़ुलाबों से
अहसास की ख़ुशबू लायी है
ये यादों की पुरवाई है
थोड़ी खट्टी, थोड़ी मीठी
थोड़ी सौंधी, थोड़ी सूखी
यादें हैं कुछ कच्ची-पक्की
झिलमिल आँखें लायी है
ये यादों की पुरवाई है
जीवन का ये शहद अनोखा
अवचेतन का संचय है
किसी निमित्त से सतह पर आती
अंतस की परछाई है
ये यादों की पुरवाई है
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