एक और दुनिया है
जिस दुनिया में कोई
क़ायदा नहीं होता
क़ायदा नहीं होता
बस प्यार होता है
आँखों में मासूमियत होती है
असीम विश्वास होता है
निहीत स्वार्थ और
फ़ायदा नहीं होता
फ़ायदा नहीं होता
यहाँ शेर को बचाता एक चूहा है
ख़रगोश को हराता एक कछुआ है
हमारी दुनिया की तरह कोई
भेड़ की खाल ओढ़े
भेड़िया नहीं होता
भेड़िया नहीं होता
इस दुनिया का हर शख्स
क़बीर है
क़बीर है
जीता है बस
इस एक पल को
इस एक पल को
हमारी दुनिया कि तरह यहाँ कोई
सिद्धान्तों का दिखावा नहीं होता
बचपन एक दुनिया ही है
ये कोई दौर नहीं होता
क्योंकि दौर तो गुज़र जाते हैं
पर बचपन कभी बूढ़ा नहीं होता
बचपन कभी बूढ़ा नहीं होता
No comments:
Post a Comment